गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। बात सावन मास का हो और बिहार झारखंड में कृष्णा माता बम की न हो। यह संभव नहीं है। भगवान भोले शंकर की अनन्य भक्त कृष्णा माता बम को देखने और उनका आशीर्वाद पाने के लिये भोले बाबा के भक्त लालायित रहते हैं। जिनका जयकारा बिहार झारखंड ही नही बल्कि, पूरे देश के शिव भक्त करते हैं। उम्र के 72वें वर्ष में पिछले वर्ष 2022 को उन्होंने की थी अंतिम कांवर यात्रा। बाबा भोले से मांग चुकी हैं क्षमा।
वैशाली जिला की बेटी और बहु कृष्णा रानी से कृष्णा माता बम बनने की कहानी
वैशाली जिला के हद में भगवानपुर प्रखंड के प्रतापटाँड गांव के एक सम्पन्न किसान की लाडली पुत्री कृष्णा रानी ने वर्ष 1967 की मैट्रिक परीक्षा पास की। जब वह स्नातक में पढ़ रही थी तो उसकी शादी वैशाली जिला जिला के हद में धरहारा भठण्डी के नन्द किशोर पांडेय के साथ हुई। शादी के समय नन्द किशोर पांडेय वेटनरी डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे थे। सन 1971 में नन्द किशोर पांडेय के घर पर नक्सलियों ने हमला कर उनके पिता की हत्या कर दी।
इस घटना के बाद कृष्णा रानी का ससुराल छिन्न भिन्न हो गया। इसके बाद कृष्णा ने अपनी पढ़ाई मायके से पूरी की और मुजफ़्फ़रपुर से शिक्षक प्रशिक्षण कर भगवानपुर मिडिल स्कूल में शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू की। बाद में मुजफ्फरपुर स्थानांतरित होकर चली आई और पूरा परिवार मुजफ्फरपुर में ही आकर रहने लगी।
कृष्णा को भगवान भोलेनाथ पर असीम विश्वास था। सन 1976 से 1981 तक लगातार सावन माह के प्रत्येक सोमवार को डाक बम के रूप में पहलेजा घाट से मुजफ्फरपुर 85 किमी की दूरी 9 घण्टे में तय कर बाबा गरीब नाथ का जलाभिषेक करती आई।
सन 1981 में कृष्णा के पति कालाजार से ग्रसित होकर बहुत बीमार पर गये। तब कृष्ण ने मन्नत मानी की उसके पति ठीक हो जाये तो वह सावन माह के हर सोमवार को बाबा बैधनाथ का जलाभीषेक करेगी। सन 1982 से कृष्णा ने सुल्तानगंज से गंगा का जल लेकर दौड़ते हुय देवघर पहुँच बाबा बैधनाथ का जलाभिषेक करना शुरू किया जो अनवरत 2019 तक जारी रहा।
सुल्तान गंज से गंगा का जल लेकर मात्र 13 घण्टे में 108 किमी की दूरी तय कर देवघर पहुंचने का रिकार्ड भी कृष्णा बम के नाम है। कृष्ण ने मुजफ्फरपुर के शेरपुर स्थित मिडिल स्कूल के हेडमिस्ट्रेस से सन 2013 में अवकाश ग्रहण के बाद धार्मिक यात्रा का एक रेकर्ड कायम किया है।
कृष्णा बम के रूप में गंगा जल लेकर जब सुल्तानगंज से बाबा धाम चलती हैं तो रास्ते मे इन्हें देखने और इनका आर्शीवाद लेने के लिए भोले नाथ के भक्त सड़क किनारे खड़े रहते हैं। इन्हें शुरक्षित मार्ग देने के लिये पुलिस बल साथ चलता है था बाबाधाम मन्दिर तक। प्रशासन भी इन्हें जलाभीषेक के लिए विषेष सुविधा देता आया जो वर्ष 2019 में बंद हो गया।
जिस वजह से कोरोना काल के बाद वर्ष 2022 से सिर्फ सावन के एक सोमवार को ही अब कृष्णा बम बाबा का जलाभीषेक करती रही है। इस वर्ष 2023 में कृष्णा बम ने 70 वर्ष की उम्र में भी बीते 25 जुलाई को सुल्तान गंज से गंगा का जल लिया और 18 घण्टे में 26 जुलाई को बाबा बैधनाथ पर जल अर्पण किया। वर्ष 2022 की यह उनकी अंतिम कांवर यात्रा थी।
कृष्णा बम की धार्मिक यात्राएं
वर्ष 1989 में गंगोत्री धाम से गंगा जल लेकर पैदल तीन माह में अपने पुत्र के साथ रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण। मुजफ्फरपुर से अमर नाथ, वैष्णो देवी साईकिल यात्रा।हरिद्वार से एक बार गंगा का जल लेकर बाबाधाम कांवर यात्रा।
मानसरोवर की यात्रा। वर्ष 2018 में पाकिस्तान के कट्स धाम में शिव मंदिर की यात्रा। वर्ष 2022 के सावन माह की प्रथम सोमवारी को ओमकारेश्वर जोतिर्लिंग पर जलाभीषेक के बाद नर्मदा के पवित्र जल को कांवर पर अपने पुत्र मुकेश पांडेय और 135 श्रद्धलुओं के जत्थे के साथ 140 किमी पैदल चलते हुए उज्जैन में महाकाल का जलाभिषेक के बाद दूसरी सोमवारी को बाबाधाम में बाबा बैधनाथ को गंगा जल अर्पण। ये अभी पुणे में अपने पुत्र के पास रह रही हैं।
369 total views, 2 views today