फिट होना फिटनेस नहीं ‘स्वस्थ’ होना जरूरी

बेडौल के बजाय सुडौल और ‘स्वस्थ’ होना जरूरी

मुंबई। फिट होना फिटनेस नहीं बल्कि फिटनेस से अधिक जरूरी अच्छे स्वस्थ का होना है। मौजूदा समय में शरीर को एक आकार (शेप) देना चुनौतियों से कम नहीं। क्योंकि बढ़ी हुई चर्बी को कम करने, बेडौल शरीर को लेकर उपहास करने का चलन जोर पकड़ता जा रहा है। इतना ही नहीं इन दिनों वजन का अधिक या कम होने पर भी जोरदार चर्चा चल रही है। वहीं हमारे यहाँ उद्योजिका-संचालिका, एक्जीबिशन एंड कॉन्फ्रेंस प्राइवेट लिमिटेड (एबीइसी) में बलबीर गाँधी नामक एक ऐसी महिला हैं।

जो इन सारे मिथको को नहीं मानतीं। सुश्री बलबीर गाँधी का कहना है कि फिट होना फिटनेस नहीं होता बल्कि फिटनेस से अधिक जरूरी है अच्छे स्वस्थ का होना। इस समय फिटनेस का बुखार इतनी तेजी से बढ़ा है कि यह लोगों के निजी जीवन के अलावा व्यवसायिक स्थानों में भी प्रवेश कर चुका है। जबकि सच्चाई यह है कि बजाय ईश्वर के दिए इस शरीर को हम उपहार माने, हम लोग इसी चिंता में परेशान हैं कि समाज ने वया पैमाने शरीर के लिए तय किये हैं।

उद्योजिका-संचालिका, एक्ज़ीबिशन एंड कॉन्फ्रेंस प्राइवेट लिमिटेड (एबीइसी) सुश्री बलबीर गाँधी का कहना है कि शारीरिक संतुलन को हलके में कभी नहीं लेना चाहिए, उसकी देखरेख जरूरी है। इसके लिए हमें एक सामान्य नियमावली का पालन करना चाहिए जो हमारे शरीर के संतुलन के लिए जरूरी है, इस संतुलन में शरीर के साथ ही मन का भी संतुलन आवश्यक है जो मानसिक रूप से व्यस्त रहने से प्राप्त होता है। कुल मिलाकर हमारा दिमाग ही हमारी सोच के लिए उत्तरदायी होता है जो हमें नई ऊंचाईयां प्रदान करता है। ‘स्वस्थ शरीर और दिमाग’ दोनों को ध्यान में रखकर ही सुश्री बलबीर गाँधी कहती हैं फिट रहना ही फिटनेस नहीं बल्कि स्वस्थ होना फिटनेस से कहीं ज्यादा जरूरी है।

आप चाहे काम कर रहे हों या आपका शेडूल हमेशा ही अनिश्चित होता है। तमाम तरह की जिम्मेदारियां आपका ध्यान कई दिशाओं में एक साथ खींचतीं हैं। आपको कभी लंबी यात्राएं करनी पड़ती हैं, कभी देर तक काम करना पड़ता है जिसका प्रभाव आपके शरीर पर नकारात्मक होता है। आपका स्वस्थ मानसिक हो या शारीरिक दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। एक अच्छा नेतृत्व देने और घर चलाने के लिए जरूरी है कि आपका दिमाग शांत हो और शरीर पूरी तरह से स्वस्थ। ऐसा एबीइसी की बलबीर गाँधी का कहना है।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या करना चाहिए इस पर सुश्री बलबीर गाँधी कहती हैं, हमें नियमपूर्वक योगा या ध्यान करना चाहिए, लोगों से मेलजोल बढ़ाना चाहिए जो खुशी प्रदान करते हों, 7 से 9 घंटे की नींद रात में लेनी चाहिए, भोजन में सही खाद्य लेना चाहिए, कुछ सकारात्मक करने की कोशिश सदैव होनी चाहिए। इसके अलावा अपने को अधिक से अधिक खुश रखने और आनंदित रहने का प्रयास सबसे अधिक जरूरी होता है। साथ ही हमें कुछ ऐसी चीजों की जानकारी पढ़कर- देखकर लेनी चाहिए जिनसे हमको मानसिक- शारीरिक शक्ति बढ़ाने का अवसर मिले, इन अच्छी बातों को आप अपने परिजनों, बच्चों और दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं।

 


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