तीखे कांटों को फूलों का श्रृंगार बना दो तो जानू

नवयुवक समिति सभागार में कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन

एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। मुजफ्फरपुर के भगवान लाल स्मारक भवन स्थित नवयुवक समिति सभागार में 30 अप्रैल को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन, मंच संचालन वरिष्ठ गीतकार डॉ विजय शंकर मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।

कवि सम्मेलन की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत तीखे कांटों को फूलों का श्रृंगार बना दो तो जानू से किया गया। मंच संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि व सृजन गवाक्ष पत्रिका के संपादक डॉ विजय शंकर मिश्र ने सरहद पर मरनेवालों का श्रृंगार जमाना करता है, स्मरण सुमन से अभिनंदन आँसू से वंदन करता है प्रस्तुत कर भरपूर तालियां बटोरी।

नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने ग़ज़ल भूखे से भगवान की बातें, छोड़ यार ये ज्ञान की बातें। पहले हाथ में रोटी तो रख, फिर करना ईमान की बातें सुनाकर दर्शकों से भरपूर दाद बटोरी।

इस अवसर पर कवि रामबृक्ष राम चकपुरी ने किस गुनाह में, भूख में पत्थर चबाएं, कहां मिला सुकून की जिन्दगी सुनाकर तालियां बटोरी। भोजपुरी के वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने लिप पोत करेली धनियां घर रे अगनवा, आवत होइहें परदेशिया सजनवा सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कवि सम्मेलन व् मुशायरा में मुजफ्फरपुर की कवयित्री सविता राज ने वर्ष में एक दिवस हम मजदूर दिवस मनाते, क्या बस इतना ही सम्मान हम इनका कर पाते सुनाकर जमकर तालियां बटोरी। कवि ओम प्रकाश गुप्ता ने प्रकृति को अब और कितना बर्बाद करोगे, हुई मैली नदियां, प्रदुषित पवन देखिये सुनाया।

युवा कवि उमेश राज ने पर – पल प्रतिक्षा करूंगी तेरी, बैठी जलाये उम्मीद के दीये प्रस्तुत किया। कवयित्री मुन्नी चौधरी ने अरे अब यह कैसा मोह, विश्व में कोई अपना नहीं सुनाकर तालियां बटोरी। कवि अशोक भारती ने मैं तो बना गुलाब हूँ जो कांटों में पला करे, मैं वो खुली किताब हूँ हर कोई पढ़ा करे सुनाकर तालियां बटोरी।

वरिष्ठ कवि डॉ जगदीश शर्मा ने भाव विभोर हो भरपूर, दानवीर भामासाह का गुनगान गाया था सुनाकर तालियां बटोरी। युवा कवि संतोष कुमार सिंह ने साधना होती है एकान्ते कान्तारे, भावना होती है एकान्ते कान्तारे सुनाकर तालियां बटोरी।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि अरुण कुमार तुलसी ने हमसे सच की सुनो कहानी, जिससे मरे झूठ की नानी सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। इसके अलावा संजीत कुमार, अरुण कुमार, अजय कुमार, सुरेश प्रभू, सुनील ओझा, सुरेन्द्र कुमार, चिराग पोद्दार आदि की रचनाएं भी सराही गयी।

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