या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता से गूंज उठा हरिहर क्षेत्र

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित हरिहरक्षेत्र तीर्थ स्थल में चैत्र नवरात्र एवं हिन्दू नववर्ष प्रतिपदा 2080 की पूर्व संध्या पर हरिहरनाथ मंदिर सहित सभी मठ-मंदिरों में पूजा-अर्चना की गयी। आरती के बाद प्रसाद वितरण भी किया गया।

जानकारी के अनुसार 22 मार्च से आरंभ नवरात्रि में पूजा के लिए सभी देवी मंदिरों में तैयारी भी पूर्ण हो चुकी है। इसे लेकर 21 मार्च की संध्याकालीन बेला से ही मंदिरों में दुर्गा सप्तशती पाठ “या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” गूंजने लगा है।

विक्रमी संवत्सर वर्ष प्रतिपदा 2079 का आखिरी दिन होने के कारण 21 मार्च को जप, तप एवं होम भी किया गया। मंदिरों की साफ-सफाई एवं सजावट पर विशेष ध्यान दिया गया है। नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा के साथ ही रामनवमी के दिन नवरात्र का समापन हो जायेगा। देवी भगवती के सप्त मातृका मंदिरों में भी पूजा-पाठ जारी है।

जानकारी के अनुसार जिला के हद में दिघवारा के आमी स्थित अम्बिका स्थान, दिघवारा गांव स्थित महिषासुर मर्दिनी, दुर्गा नकटी देवी मंदिर शीतलपुर स्थित मनाईन माई मंदिर, नयागांव के डुमरी बुजुर्ग स्थित कालरात्रि स्थान, सोनपुर स्थित दक्षिणेश्वरी काली मंदिर, आपरुपी गौरीशंकर मंदिर, उमा महेश्वर मंदिर सहित विविध शक्ति मंदिरों में नवरात्रि की तैयारियों को लेकर भक्तों के भीतर भारी उत्साह देखा देखा जा रहा है।

22 मार्च को बुधवार दिन रहने की वजह से इस बार माता अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए नाव से आ रही हैं। मां दुर्गा के नौका पर आने का मतलब धरती पर जल का अभाव नही रहेगा। नाव जल में चलने वाला वाहन होता है।

ज्योतिषविदों का मानना है कि मां दुर्गा जब नाव पर सवार होकर आती है, तो अच्छी बारिश और खूब फसल होने के भी संकेत है। इस तरह यह कहा जा सकता है कि जब माता नौका से आएंगी तो सभी के लिए यह सर्व सिद्धिदायक होगा। भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होगी। मां दुर्गा के दर्शन से सभी भक्तों के मनोरथ पूर्ण होंगे।

नारायणी नदी के किनारे सोनपुर स्थित काली घाट पर देवी दुर्गा की शक्ति दक्षिणेश्वरी काली का प्रसिद्ध स्थल है। यहां एक ऊंचे डीह पर देवी काली की दक्षिणाकाली मूर्ति विराजमान हैं। देवी का मुख दक्षिण दिशा में स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग की ओर है और देवी के चरणों के नीचे महाकाल शिव निपतित हैं।

देवी के गले में मुंडों की माला है और उनकी जिह्वा बाहर की ओर तथा आंखें लाल है। निकट ही गौरी शंकर मंदिर में उमा-महेश्वर की काम केली मुद्रा की मूर्ति तंत्र साधकों को अपनी ओर सदा आकृष्ट करती रही है।

इसी प्रांगण में गरूड़ पर सवार श्रीविष्णु की मूर्ति के साथ-साथ हाथ में शिवलिंग धारण किये चतुर्मुखी काली की प्राचीन मूर्ति के दर्शन- पूजन हेतु भी भक्तों की भीड़ लगी हुई है। बाबा हरिहरनाथ मंदिर के पश्चिम मही नदी किनारे ही बाबा बालक नाथ समाधि गुफाओं के समूह में शिवलिंग में अद्भुत देवी की मुखाकृति भी शक्ति साधक को आकृष्ट कर रही है।

डुमरी बुजुर्ग में देवी दुर्गा के सप्तम स्वरूप काल रात्रि की पूजा होती है। देवी काल रात्रि भी सभी मनोकामनाएं सिद्ध करती हैं। शीतलपुर में दरियापुर की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर मनाईन माई का सुप्रसिद्ध मंदिर स्थित है। मनाईन माई सभी तरह की व्याधियों, अवरोधों, संकटों से अपने भक्तों को बचाती है।

यहां भी दुर्गा सप्तशती पाठ निरंतर जारी है। दिघवारा बुजुर्ग में नदी किनारे महिषासुर मर्दिनी दुर्गा की प्रतिमा नकटी देवी के नाम से चर्चित है। माता दुर्गा की यह मूल प्रतिमा है, जिसमें माता महिषासुर का वध करती हुई दिखाई दे रही हैं।

आमी की अम्बिका शक्तिपीठ में निरंतर दुर्गा सप्तशती पाठ चल रहा है और देवी की स्तुति जारी है। मंदिर प्रांगण देवी भक्ति गीत में सराबोर है। बाबा हरिहरनाथ में स्थापित देवी दुर्गा एवं उनकी शक्तियों की आराधना-पूजा भी भक्ति-भाव से जारी है।

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