रावण दहन देखने तेनुघाट में उमड़ी भारी भीड़

सिंदूर खेल सुहागिन महिलाएं नम आंखों से मां को विदाई दी

ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। मां दुर्गा की पूजा में सिंदूर खेल बंगाली संस्कृति एवं परंपरा रही है। यह संस्कृति झारखंड के बोकारो जिला में भी देखने को मिल रहा है।

इसी परंपरा के तहत बोकारो जिला के हद में पेटरवार प्रखंड के तेनुघाट में भी बिजयादशमी के अवसर पर बीते 5 अक्टूबर को धूम-धाम से महिलाएं दुर्गा मंडप में सिंदूर खेल मनाई।

इस बारे में उपस्थित महिला श्रद्धालुओं द्वारा बताया गया कि माता 10 दिनों के लिए माईके आयी थी। अब वे अपने ससुराल जा रही है, इस कारण यह सिंदूर खेल प्रथा को निभाई जा रही है। बताया जाता है कि यह खेल तेनुघाट में वर्ष 1967 से होता आ रहा है। वहीं 2 साल वैश्विक महामारी कोरोना के कारण यह खेल नहीं हो पाया था। इस बार महिलाओं में अलग किस्म का जोश देखने को मिला। महिलाएं एक – दूसरे को सिंदूर लगा कर गले मिल रही थी।

महिलाएं बताती है कि सिंदूर खेल से उनके सुहाग यानी पति की आयु लंबी होती है और घर खुशहाली बरकार रहता है। विजयदशमी के अवसर पर तेनुघाट एफ टाईप चौक दुर्गा मंडप में विजय दशमी के महाआरती के बाद रावण दहन का किया गया।

इस कर्यक्रम में लगभग दस हजार लोगों से भी अधिक भीड़ नजर आ रहा था। यह कार्यक्रम भी तेनुघाट में वर्ष 1967 से चलता आ रहा है। रावण दहन से पहले आतिश बाजी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। वह भी देखने लायक था। इस तरह से दुर्गा पूजा का संपन्न हो गया। रहिवासियों के अनुसार प्रतिमा विषर्जन 7 अक्टूबर को किया जायेगा।

शारदीय नवरात्र के महानवमी पूजन का बड़ा ही धर्मिक महत्व है। जिसकी झलक तेनुघाट में देखने को मिला। महानवमी पूजन के समाप्ति के बाद हवन का कार्यक्रम किया गया। जिसमें गोमियां विधायक डॉ लंबोदर महतो ने भाग लिया। तेनुघाट मंडप का अलग ही महत्व है। इसके पूर्व गोमियां के पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद ने महाष्टमी का पूजा अर्चना किया।

पुजारी के अनुसार यहां जो भी सच्चे मन से जो भी मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है। इसे लेकर 6 अक्टूबर को विधायक डॉ महतो ने तेनुघाट एफ टाईप मंडप में पूरी श्रद्धा और बैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया।

हवन के बाद कुँवारी कन्या का विधिवत पूजा की गई। लगातार परम्परागत तरीके से दुर्गा पूजा की जाती है। इस मंडप से लोगों की विशेष आस्था जुड़ी है। बड़ी संख्या में आसपास के रहिवासी हर वर्ष यहाँ पूजा करने आते हैं। पिछले दो वर्षों के बाद यह आयोजन होने से श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या यहाँ जुटी।

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