कई मायनों में खास है हाजीपुर का गांधी आश्रम

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। वैशाली जिला (Vaishali district) मुख्यालय हाजीपुर में स्थित गाँधी स्मारक पुस्तकालय की 64वी स्थापना दिवस के साथ ही 7 दिसम्बर को ऐतिहासिक गाँधी आश्रम की 101वी स्थापना दिवस भी है।

गांधी स्मारक पुस्तकालय के सचिव अवकाश प्राप्त हिंदी अधिकारी भारतीय रेल भोलानाथ ठाकुर और सुमन कुमार पूर्व वायु सैनिक सह पुस्तकालय परिवार के सदस्य ने परिचर्चा करते हुए बताया कि गणतंत्र की जननी वैशाली जिला के हाजीपुर स्टेशन से चंद कदमों की दूरी पर स्थित गाँधी आश्रम देश के स्वतंत्रता आंदोलन में नरम दल और गरम दोनों दलों का केंद्र रहा।

जिसकी स्थापना 1920 के 7 दिसम्बर को महात्मा ग़ांधी के आगमन से हुआ। जिसकी स्थापना में बिहार के प्रथम सत्याग्रही कन्या उच्च विद्यालय (जीएच स्कूल) के प्रधानाध्यापक पंडित जयनन्दन झा का अहम योगदान रहा।

यह गाँधी आश्रम जिले के स्वतंत्रता सेनानी अमऱ शहीद बैकुंठ शुक्ल, बाबु योगेन्द्र शुक्ल, बाबू किशोरी प्रसन्न सिंह, बाबू अच्छयबट राय, बाबु बसावन सिंह, बाबु दीपनारायण सिंह, बाबु सीताराम सिंह का स्वतन्त्रता आंदोलन के दौरान आश्रय स्थल और मन्त्रणा केंद्र रहा है।

उन्होंने बताया कि बगल के ग्राम दीघी के बाबू ध्रुब नारायण सिंह मोख्तार का भी सम्पर्क जिले के इन स्वतन्त्रता सेनानियों के साथ रहा और ये उन स्वतन्त्रता सेनानियों को क़ानूनी रूप से मदद करते आये।
ज्ञात हो कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद बाबू ध्रुव नारायण सिंह ने ग़ांधी आश्रम परिसर के बगल में 10 कठ्ठा जमीन खरीद कर उस पर ग़ांधी स्मारक पुस्तकालय की स्थापना 7 दिसम्बर 1956 में की।

जिसके भवन का शिलान्यास 7 दिसम्बर 1960 को बिहार के राज्यपाल डॉ जाकिर हुसैन ने किया। पुस्तकालय की स्थापना में बाबू किशोरी प्रसन्न सिंह और बाबू दीपनारायण सिंह ने ध्रुब बाबु को काफी सहयोग दिया।

साथ हीं सुलभ इन्टरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने पुस्तकालय भवन निर्माण में सहयोग दिया। ध्रुब बाबु की मृत्यु के बाद जिले के अधिवक्ता चन्द्र केत शर्मा इस पुस्तकालय के सचिव बने और उनके बाद गत 20 वर्षों से वर्तमान सचिव भोलानाथ ठाकुर इस पुस्तकालय के सचिव है।

पुस्तकालय को सरकार की ओर से कोई सहायता नही मिलती है फिर भी पुस्तकालय में सभी विषयों की हजारों पुस्तके है। इसका नियमित संचालन होता है।

पुस्तकालय में सन 1930 नमक सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेनेवाले जिले और राज्य के सत्याग्रहियों की तस्वीर आज भी सुरक्षित है। पुस्तकालय का एक दूसरा भवन पूर्व सांसद कमला सिन्हा के राज्यसभा फंड से बसावन सिंह के नाम पर है।

वैशाली जिले का ग़ांधी आश्रम देश के क्रान्तिकारियो और स्वतंत्रता सेनानियों का केंद्र रहा, लेकिन यह इस जिले का दुर्भाग्य है कि जिले में इन स्वतन्त्रता सेनानियों का कोई स्मारक स्थल नही है। जिले के कुछ समाज सेवियों के प्रयास से जिले के स्वतन्त्रता सेनानियों की प्रतिमा तैयार हुई, जो 15 वर्ष से बुबना के गोदाम में पड़ी हुई थी।

जहाँ से निकाल कर गांधी आश्रम परिसर स्थित दीपनारायण संग्रहालय के कमरे में बंद कर दिया गया। वर्तमान सचिव अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल और अन्य स्वतन्त्रता सेनानियों का पुस्तकालय की जमीन पर स्मारक स्थल बनाने का प्रयास कर रहे है, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि का अपेक्षित सहयोग नही मिल रहा है।

गांधी आश्रम परिसर में स्वतन्त्रता सेनानियों के आश्रय के लिये एक भवन भी है। जिसमें जिले के अंतिम स्वतन्त्रता सेनानी राज्य सभा संसद बाबू सीताराम सिंह का निवास रहता आया। गत वर्ष उनकी मृत्यु के बाद यह भवन बीरान हो गया।

इसी परिसर में नगर पालिका द्वारा एक पार्क का निर्माण किया गया, जिससे इस स्थान की रौनक बढ़ी है। इस ऐतिहासिक गांधी आश्रम के विकास पर किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान नही है। युवाओं को अपने धरोहरों को बचाने के लिये आगे आना चाहिए।

[लेखक वैशाली जिला न्यायालय हाजीपुर में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। ]

 

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