प्रदेश नेतृत्व के प्रति जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने जताया असंतोष

प्रदेश स्तरीय अधिकारियों से आने की नहीं मिली पूर्व सूचना

-पार्टी कार्यकर्ताओं में दिख रहा उत्साह, प्रखंड पदाधिकारियों में पार्टी व संगठन को पहले से और अधिक सशक्त बनाने की लगी होड़।

संतोष कुमार/वैशाली (बिहार)। इन दिनों बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रदेश नेतृत्व पर अब जिलाध्यक्ष ही सवालिया निशान लगाने से परहेज नहीं कर रहे हैं।

बानगी के तौर पर कांग्रेस के वैशाली जिलाध्यक्ष महेश प्रसाद राय (Mahesh Prasad Roy) ने 24 अक्टूबर को भावुक होकर अपनी पीड़ा बयान की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गुटबंदी से पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

राजनीति का मैदान अब पहले जैसा नहीं रहा। अब यहां पार्टी प्रोटोकॉल के प्रति लापरवाह नजरिया दिखाई दे रहा है। यह भावुक होकर कहते हुए कांग्रेस पार्टी के वैशाली जिलाध्यक्ष और उनके कार्यालय में उस समय मौजूद दो प्रखंडों के अध्यक्ष सभी काफी चिंतित दिखे।

जिलाध्यक्ष महेश प्रसाद राय ने जानकारी देते हुए चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अब स्थिति संभालने की जरूरत है। जिसका पूरा पूरा ध्यान प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों को भी पार्टी हित मे रखना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रदेश पदाधिकारी भक्त चरण दास और मदन मोहन झा की गाडियां यहां से गुजरी और यहां पूर्व सूचना तो नहीं ही दी गई। साथ ही जिलाध्यक्ष से भी हाल चाल पार्टी हित मे पूछने और उसके लिए वहां रुकने की जहमत नहीं उठाई गई।

यह उनके लिए काफी चिंता का विषय है। आगे से इस बात का ध्यान रखने का आग्रह भी राय ने किया है। ताकि एक बेहतर संदेश जन जन तक पहुंचाया जा सके।

उपस्थित वैशाली और पटेढी बेल्सर प्रखंड अध्यक्ष क्रमशः रामजन्म सिंह और सर्वेश कुमार ने एक उम्मीद भरी बात रखी। कहा कि वे पार्टी और संगठन को मजबूत करने की दिशा में बेहतर योजनाएं बनाएंगे।

कुमार ने जानकारी दी कि पतेढ़ी बेलसर प्रखंड में रिश्वतखोरी और महंगाई के अलावा भी समस्याएं है, जिसके खिलाफ समाधान को लेकर आंदोलन चलाया जाएगा। उधर वैशाली अध्यक्ष सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके प्रखंड क्षेत्र में भी काफी जवलंत समस्याएं हैं।

उन्होंने बताया कि मजदूर के समक्ष बेकारी की गम्भीर समस्या है। वहीं उनके प्रखंड क्षेत्र में गाय (मवेशी) एक खास बीमारी की चपेट में आकर दम तोड़ रही है। जिससे पशुपालकों में निराशा के बादल मंडराते देखा जा रहे है।

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