विहंगम योग को समझने की जरूरत-बिंदेश्वरी दुबे

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक हर मर्म की अंदरूनी वास्तविकता को भली भांति समझने के लिए मनुष्य को विहंगम योग की वास्तविकता से परिपक्व होने की जरूरत है।

यह उद्धबोधन है विहंगम योग के प्रादेशिक प्रचारक बिंदेश्वरी दुबे का, जो बोकारो जिला (Bokaro District) के हद में अंगवाली गांव स्थित सदगुरु सदाफलदेव जी महराज के मंदिर में 8 अक्टूबर को आयोजित गुरुगोष्टी में बोल रहे थे।

उन्होंने पौराणिक ग्रंथ रामायण के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुये कहा कि गुरु ही प्रमात्मा के स्वरूप हैं। उनके सरणागत के बिना मनुष्य के जीवन-मृत्यु का द्वार प्रशस्त संभव नही।

जिला संयोजक नीलकंठ रविदास, कोयलांचल संयोजक आनंद केशरी, उपदेष्ठा शिवचंद यादव, बोकारो थर्मल से केपी सिंह, रामेश्वर ठाकुर, एसडी प्रसाद, मधु खत्री, पंचानन साव आदि ने भी अपने उद्धबोधन में सदगुरु की शरणागत के उपाय पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर स्वर्वेद पाठ, आरती, वंदना तथा शांति पाठ कर विश्व शांति की कामना किया गया। मौके पर उपरोक्त गणमान्यों के अलावा नरेश मिश्रा, खिरोधर गोप, कमल साव, अजीत जयसवाल, गंगा साव, उमाशंकर साव, इंद्रमोहन, बैजनाथ, राम किशुन सिंह सहित दर्जनों महिला-पुरुष शिष्यgan गोष्ठी में शामिल थे।

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