दुमका में सुब्हान की मॉब लिचिंग पर सब मौन क्यों-रघुवर

एस.पी.सक्सेना/ रांची (झारखंड)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghubar Das) ने 15 मई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कम्युनिस्ट पार्टी नेताओं पर हमला बोलते हुए सवाल उठाया कि वर्ष 2019 में तबरेज अंसारी की मौत को मानवता पर धब्बा बताने वाले दुमका में 11 मई को बकरी चोरी के नाम पर सुब्हान अंसारी की हुई मॉब लिचिंग (Mob lynching) पर आखिर मौन क्यों हैं?

पूर्व मुख्यमंत्री दास ने कहा कि जिस प्रकार 11 मई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant soren) के गृह जिला दुमका के शिकारीपाड़ा थाना के हद में काठीकुंड में बकरी चोरी का आरोप लगाकर दो लोगों की निर्मम पिटाई की गई। जिसमें एक सुब्हान अंसारी की मौत हो गई। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस घटना को बीते चार दिन हो गए। अब तक मॉब लिचिंग के शिकार सुब्हान अंसारी के लिए न तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आंसू बहाने का समय मिला और न ही पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा उनकी बहन प्रियंका गांधी को कहने या ट्वीट करने का मन हुआ। इनलोगों के ट्वीट और आंसू भी आखिर सेलेक्टिव क्यों होते हैं?

पूर्व मुख्यमंत्री दास ने कहा कि राहुल गांधी ने 17 जून 2019 को सरायकेला में तबरेज अंसारी पर हुए हमले पर मोटे-मोटे आंसू बहाये थे और 22 जून को तबरेज की मौत के बाद इसे मानवता पर धब्बा बताया था और आरोप लगाया था कि इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार की कथित चुुप्पी हैरान करने वाली है। इतना ही नहीं राज्यसभा में अपने भाषण में कांग्रेस नेता गुलामनवी आजाद ने सरायकेला की घटना के बाद पूरे झारखंड को मॉब लिचिंग का अड्डा बता दिया था। उन्होंने कहा कि सुब्हान अंसारी के मामले में अब तक गुलामनवी आजाद ने भी अपनी जुबान नहीं खोली। दास ने कहा कि तबरेज के मामले में सीपीएम, सीपीआई एवं अनेक संगठनों ने अपनी पार्टियों के प्रतिनिधि सरायकेला भेज दिया था। वर्तमान सरकार में कांग्रेसी मंत्री ने भी घर जाकर आर्थिक सहायता दी थी।

 

इस तरह इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर देश को बदनाम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। अब जब दुमका में सुब्हान अंसारी की मॉब लिचिंग से निर्मम हत्या की गई तो इन सभी की जुबान पर ताला लटक गयी है। किसी जांच या मदद की मांग नहीं की जा रही है, आखिर ऐसा क्यों? दास ने कहा कि ऐसा दोहरा व्यवहार सिर्फ किया जा रहा है क्योंकि उस समय भाजपा की सरकार थी और आज यहां झामुमो के नेतृत्व में कांग्रेस, राजद एवं बामपंथियों की अवसरवादी सरकार है। दास ने कहा कि भीड़ के हाथों किसी की भी मौत गैरकानूनी और निंदनीय होती है। चाहे वह तबरेज की मौत हो या सुब्हान अंसारी की हत्या हो। उन्होंने मांग किया कि अंसारी के मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना चाहिए और उसकी पत्नी खैरून बीबी एवं पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद की जानी चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछा कि वह और उनकी पार्टी तो दावा करती थी कि अभी सरकार में मॉब लिचिंग नहीं होगी तथा किसी की भी भूख से मौत नहीं होगी, लेकिन अब इस तरह उनके गृह जनपद दुमका में हुई मॉब लिचिंग पर आखिर उनके पार्टी के नेताओं के होठ क्यों सिले हुए हैं।उन्होंने सवालिया लहजे में कहा है कि रामगढ़ के गोला में संग्रामपुर गांव में तीन अप्रैल को 17 वर्षीय दलित महिला उपासो देवी की भूख से हुई मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है? ऐसे मामलों को दबाने से काम नहीं चलेगा। सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी, और जनता को बताना होगा कि चुनाव में किए गए वादों का क्या हुआ? जब वह चीख-चीख कर कहा करते थे उनके राज्य में कभी मॉब लिचिंग नहीं होगी और भूख से किसी गरीब की मौत नहीं होगी।

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