झूला झूलने से तन स्वस्थ व मन हो जाता है पवित्र-जगद्गुरु लक्ष्मणाचार्य

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर के प्रसिद्ध श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् नौलखा मन्दिर में झूला उत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

झूला उत्सव के चौथे दिन 18 अगस्त 2024 को हरिहर क्षेत्र पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने कहा कि सावन महीने में चहुं ओर हरियाली छाई रहती है। झूला झूले जाते हैं और पारंपरिक गीत गाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सावन में झूला झूलने का विशेष महत्व है। कहा कि झूला झूलने से तन स्वस्थ और मन पवित्र हो जाता है। उन्होंने कहा कि सावन में सदियों से ही झूला झूलने की परंपरा चलती आ रही है।

लक्ष्मणाचार्य महाराज ने कहा कि लोक परंपरा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने राधाजी को भी झूला झूलाया था। इसी के बाद से झूला झूलने की परंपरा शुरू हुई। ऐसे में सावन महीने में झूला झूलना शुभ माना जाता है। स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने बताया कि झूला महोत्सव का समापन 19 अगस्त को श्रावणी पूर्णिमा का आनन्द मनाते हुए होगा।

स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने यह भी बताया कि 19 अगस्त को दिन 1 बजकर 25 मिनट तक भद्राकाल रहने के कारण रक्षाबंधन पर्व इसके बाद ही मनाया जाए। उन्होंने बताया कि सोमवार श्रावणी पूर्णिमा को हम सभी भगवान श्रीकृष्ण का विराट विश्व रूप का ध्यान करते हुए झूला महोत्सव रात्रि दस बजे में सम्पन्न करेंगे।

इस तरह रात्रि दस बजे तक भजन कीर्तन से भगवान को झूला झूलाते हुए स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने श्रीबालाजी बेंकटेश, श्रीदेवी, श्रीभूदेवी को कुंभ आरती, कहली (द्रविड़ वाद्य) उद्घोष के साथ गोविन्दा गोविन्दा के उद्घोष करते हुए झूला विराम कराया। इस अवसर पर उपस्थित समस्त श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया।

उक्त अवसर पर लाल पाठक, ओंकार सिंह ने समवेत स्वर में झूला तो झूले रानी राधिका, और झूलावे नन्द कुमार महीना आयो सावन का एवं घिर घिर आई घटा पानी रे, आज बरसे रस की धार महीना आयो सावन का गीत गाकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। उक्त अवसर पर मन्दिर प्रबंधक नन्द कुमार राय, मन्दिर पूजा समिति अध्यक्ष दिलीप झा ने श्रद्धालुओं की आवभगत एवं प्रसाद वितरण में सहयोग किया।

यहां मन्दिर समर्पित सदस्य लेखक साहित्यकार सुरेंद्र मानपुरी, अधिवक्ता विश्वनाथ सिंह, अभय कुमार सिंह, पत्रकार व् लेखक अवध किशोर शर्मा, गोपाल सिंह, रमाकांत सिंह, सत्येन्द्र नारायण सिंह, पंडित नन्द किशोर तिवारी, कान्ति देवी, फूल देवी, रानी राय, नारायणी सहित सैकड़ों भक्तगण सम्मिलित हुए।

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