श्रीराम और सीता के प्रेम का प्रतीक है झूलनोत्सव-जगद्गुरु लक्ष्मणाचार्य

सोनपुर के नौलखा मंदिर में झूलनोत्सव की धूम

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर के श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् नौलखा मन्दिर में झूला महोत्सव के तीसरे दिन 17 अगस्त को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गयी।

इस अवसर पर देवस्थानम् पीठाधिपति जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने भक्तों को श्रीराम और सीता मैया के रोचक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यह झूलनोत्सव श्रीराम और सीता के प्रेम का भी प्रतीक माना जाता है। उन्होंने कहा कि जब जानकी जी विवाह के बाद अयोध्या आईं तो उन्होंने श्रीराम से सावन में झूला झूलने की इच्छा जताई।

अपने मायके जनकपुर में पर्वतों पर जानकी जी अपनी सखियों के साथ झूला झूलती थीं, लेकिन अयोध्या में पर्वत नहीं थे। तब सीता के झूला झूलने के लिए उनके पिता राजा जनक ने मणियों का एक पर्वत बना दिया। फिर उसमें झूला पड़ा और सीताजी अपनी सखियों संग झूला झूली। इसलिए ये झूलनोत्सव राम और सीता के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। तभी से मणि पर्वत का झूलनोत्सव प्रचलित हो गया।

उन्होंने बताया कि उसी तिथि से अयोध्या में मणि पर्वत का झूला उत्सव तीज के दिन होता है। उसके बाद जो आस- पास सभी जगह रक्षाबंधन तक इस परम्परा का निर्वहन किया जाता है।

बताया जाता है कि झूलनोत्सव के तीसरे दिन भी भक्तों की भीड़ देवस्थानम में जुटी रही। सोनपुर, हाजीपुर, पटना से झूला महोत्सव का आनंद लेने के लिए श्रद्धालू मंदिर की ओर खींचे चले आते दिखे। स्थानीय कलाकार श्रीलाल पाठक, ओंकार सिंह, प्रह्लाद कुमार, बाल कलाकार आस्था, राधिका और सत्यम द्वारा भजन की प्रस्तुति मन मोह रही थी।

इसी तरह देवस्थानम में मनमोहक झांकियों के साथ भगवान श्रीबालकृष्ण, श्रीबालाजी वेङ्कटेश, श्रीदेवी और श्रीभूदेवी के श्रीविग्रह को फूलों से सजाया गया। उन्हें झूला में विराजमान कर श्रद्धालु भक्तों द्वारा झूलाया गया।

देवस्थानम् प्रबंधक नन्द कुमार राय ने बताया कि हर शाम श्रृंगार के बाद भगवान को 4 घंटे के लिए झूला में झुलाया जा रहा है। यह उत्सव सावन के अंतिम दिन यानी 19 अगस्त तक मनाया जाएगा।

उपर्युक्त अवसर पर ज्योतिषाचार्य नन्द किशोर तिवारी, मन्दिर पूजा समिति अध्यक्ष दिलीप झा,भोला सिंह, अनिल राय (वैशाली मेडिकल), रतन कुमार कर्ण, कान्ति देवी, फूल देवी, नीलिमा कर्ण सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक भाग लिया।

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